इंटरनेट पर नजर रखने वाली ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी ने यूट्यूब समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों से जुड़ी यौन साम्रगी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यूट्यूब से जब इसपर सवाल पूछा गया, तो उसकी तरफ से कोई जवाब सामने नहीं आया। इस मामले में यूट्यूब ने आंखे मूंद ली हैं।
ऑस्ट्रेलिया में बुधवार को जारी हुई रिपोर्ट में ई-सेफ्टी कमिश्नर ने कहा, एप्पल और यूट्यूब पर बाल यौन शोषण से जुड़े कंटेंट के खिलाफ कई शिकायतें की गईं, मगर उन्होंने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
बच्चों के लिए यूट्यूब बैन
पिछले हफ्ते बच्चों के लिए यूट्यूब पर प्रतिबंध लगाने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश बन गया है। ई-सेफ्टी की सलाह के बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने यह फैसला लिया था। ई-सेफ्टी की कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट के अनुसार,
अगर इन कंपनियों को आजाद छोड़ दो तो वो बच्चों से जुड़े संवेदनशील कंटेंट को भी नजरअंदाज कर देती हैं। ऐसा लगता है जैसे बाल यौन शोषण पर पूरी तरह से आंख मूंद लेती हैं।
वादों पर खरे नहीं उतरे गूगल-मेटा
बता दें गूगल और मेटा जैसी कंपनिया भी बाल यौन शोषण पर प्रतिबंध लगाने का दावा कर चुकी हैं। गूगल ने पहले ही साफ कर दिया था ऐसी चीजों की पहचान कर उन्होंने फौरन हटा दिया जाता है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स की पेरेंट कंपनी मेटा ने भी इस तरह के ग्राफिक वीडियो पर बैन लगाने की घोषणा की थी।
ऑस्ट्रेलिया ने जारी किया नोटिस
ऑस्ट्रेलिया के ई-सेफ्टी कमिश्नर ने एप्पल, मेटा, गूगल, डिस्कॉर्ड, माइक्रोसॉफ्ट, स्काइप, व्हाट्सएप और स्नैप चैट को नोटिस भेजा है। इन सभी कंपनियों को बाल यौन शोषण के खिलाफ उठाए गए कदमों की रिपोर्ट पेश करनी होगी।