कानपुर: पांच फर्मों पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन का छापा

नशीली दवाओं के मामले में ड्रग विभाग की कार्यशैली से नाराज खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त डॉ. रोशन जैकब खुद मंगलवार को औचक निरीक्षण करने शहर आईं। औषधि निरीक्षण दल के साथ उन्होंने मंगलवार को बिरहाना रोड स्थित अग्रवाल ब्रदर्स फर्म उसके दो गोदामों, मेडिसिना व मसाइको फर्म पर छापा मारा। जांच के दौरान अग्रवाल ब्रदर्स के संचालक विनोद अग्रवाल और उनके बेटे शिवम अग्रवाल दवाओं की खरीद-बिक्री संबंधी कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाए। संचालकों ने निरीक्षण की सूचना पर फर्म में लगे कंप्यूटरों को भी हटा दिया था।

इस पर आयुक्त ने टीम के साथ दोनों फर्मों के कोपरगंज स्थित गोदामों पर छापा मारा। यहां बड़ी मात्रा में कोडीनयुक्त कफ सिरप व ट्रॉमाडॉल टैबलेट बरामद की गईं। इनकी खरीद-बिक्री का भी कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं था। जांच के दौरान गोदाम में बड़ी मात्रा में एक्सपायर्ड दवाएं भी पाई गईं। वहीं वेदांश व एसजीपीएस फर्म में विभाग की तीन अन्य टीमों ने छापा मारा। सभी पांचों फर्मों और गोदामों की सील कर दिया गया है। 7.50 करोड़ की नशीली दवाएं बरामद हुई हैं। आयुक्त ने संचालकों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट व भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।

पांचों फर्मों के हर गोदाम में एक से डेढ़ करोड़ रुपये की नशे समेत अन्य दवाएं मिलीं। इनकी खरीद-बिक्री का कोई कागज नहीं मिला। आयुक्त के निर्देश पर पांचों फर्मों और उनके गोदामों को सील कर दिया गया है। सभी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट व भारतीय न्याय संहिता के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि विभाग ने कार्रवाई के मामले में बहुत लापरवाही की है। इसके चलते उन्हें खुद आना पड़ा। लापरवाही में विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि नशे का कारोबार करने वालों पर तेजी के साथ कार्रवाई करें। कोई समय, पत्र व नोटिस नहीं दिया जाएगा। एनडीपीएस एक्ट के साथ बीएनएस में भी उन पर एफआईआर दर्ज कराई जाए। आयुक्त ने बुधवार शाम तक हर हाल में एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहा है। चार टीमें बुधवार को भी शहर में रहेंगी।

दो बार पड़ चुका है अग्रवाल ब्रदर्स पर छापा
इस साल जून में सेन पश्चिम पारा स्थित माया फार्मा में संचालक मुलायम सिंह के मेडिकल स्टोर पर अवैध रूप से भंडारित 1.81 करोड़ रुपये की दवाएं मिली थीं। इनमें नशीली दवाएं भी थीं। मुलायम सिंह ने अग्रवाल ब्रदर्स से इन दवाओं को खरीदने की जानकारी दी थीं। इस पर पहली बार ड्रग विभाग ने 28 जून को अग्रवाल ब्रदर्स पर छापा मारा था। फर्म के पास लाइसेंस होने पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। आठ से 10 दवाओं के सैंपल लेकर उनसे दो साल का लेखाजोखा मांगा था। लेखाजोखा न मिलने पर टीम ने फिर 15 अक्तूबर को छापा मार कर ट्रॉमाडोल, ओडीन, एल्प्राजोलम व टेपेंटाडोल दवाओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी थी।

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