केरल हाईकोर्ट ने शनिवार को राज्य के तीन प्रमुख देवस्वोम बोर्ड को अहम निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि बोर्ड के अंतर्गत आने वाले मंदिरों में किसी भी राजनीतिक गतिविधि नहीं होनी चाहिए। एर्नाकुलम निवासी एन प्रकाश की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी और न्यायमूर्ति केवी जयकुमार की पीठ ने त्रावणकोर, कोचीन और मालाबार देवस्वोम बोर्ड को निर्देश जारी किए।
याचिका में दावा गया किया था कि कोझिकोड में ताली मंदिर, अटिंगल में श्री इंदिलयप्पन मंदिर और कोल्लम में कडक्कल देवी मंदिर जैसे विभिन्न मंदिर परिसरों का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। ऐसी गतिविधियां अनुचित हैं और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं।
मामले में मालाबार देवस्वोम बोर्ड ने अदालत से कहा था कि बोर्ड द्वारा मंदिर की पारंपरिक पूजा, अनुष्ठान और रीति-रिवाजों से जुड़े आयोजनों के अलावा किसी भी प्रकार के आयोजन या कार्य के चयन को विनियमित करने के लिए निर्देश जारी करना व्यावहारिक नहीं है। इसमें कहा गया कि धार्मिक संस्थान (दुरुपयोग निवारण) अधिनियम, 1988 के प्रावधानों का उल्लंघन करके मंदिर और उसके परिसर का दुरुपयोग उक्त कानून के तहत कार्रवाई योग्य है और इसके लिए अदालत से कोई निर्देश आवश्यक नहीं है।