गुजरात: विकसित कृषि संकल्प अभियान का राज्यव्यापी शुभारंभ

गुजरात में इस अभियान के अंतर्गत 235 तहसीलों के 2951 क्लस्टर के जरिए 3.50 लाख से अधिक किसानों तक सीधे पहुंचने का व्यापक आयोजन किया गया है। इस अभियान के दौरान राज्य के 30 कृषि विज्ञान केंद्रों और चार कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक, कृषि विशेषज्ञ, कृषि विभाग के अधिकारी और स्थानीय प्रगतिशील किसान गांव-गांव घूमकर किसानों से मिलेंगे।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुरुवार को आणंद से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का राज्यव्यापी शुभारंभ करते हुए कहा कि यह अभियान कृषि उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आत्मनिर्भरता और स्वदेशी को प्रोत्साहन देने वाली एक अभिनव पहल होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से यह अभियान देश के किसानों को कृषि में समय के अनुरूप टेक्नोलॉजी का उपयोग कर वैल्यू एडिशन, फार्म मैकेनिज्म और प्राकृतिक कृषि आदि के समन्वित प्रयासों के साथ एक दिशा में काम करते हुए कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन की दिशा देने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राज्य के कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों, कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों के सहयोग से 29 मई से 12 जून तक देश भर में आयोजित होगा। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुजरात में इस अभियान का प्रारंभ आणंद कृषि विश्वविद्यालय से किया।

इस मुलाकात के दौरान किसानों को प्राकृतिक कृषि, आधुनिक और जलवायु परिवर्तन के अनुरूप खेत पद्धति, नए संशोधित बीज, नैनो फर्टिलाइजर और सॉइल हेल्थ कार्ड के उपयोग के अलावा उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने जैसी कृषि संबंधित जानकारी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त किसानों को केंद्र एवं राज्य सरकार की किसान हितैषी सहायता योजनाओं से भी अवगत कराया जाएगा।

राज्य सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने इस अभियान के अंतर्गत आणंद कृषि विश्वविद्यालय जोन में शामिल 9 जिलों के 793 गांवों के लगभग 1.02 लाख से अधिक किसान, सरदार कृषि नगर दांतीवाड़ा विश्वविद्यालय के तहत 7 जिलों के 465 गांवों के 80 हजार किसान, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत 10 जिलों के 933 गांवों के 1.20 लाख किसान और नवसारी कृषि विश्वविद्यालय जोन के 7 जिलों के 760 गांवों के 71 हजार से अधिक किसानों सहित कुल साढ़े तीन लाख से अधिक किसानों को कवर करने का गहन आयोजन किया है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस अभियान को राज्य के किसानों के लिए ‘घर बैठे गंगा’ यानी सहज रूप से प्राप्त अवसर बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में गुजरात ने इस बात का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है कि किस प्रकार कृषि क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान की मांग को पहचानकर आधुनिक टेक्नोलॉजी और विज्ञान के श्रेष्ठ उपयोग से नैनो यूरिया उर्वरक और ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने गुजरात में बिजली और सिंचाई के लिए नर्मदा का पर्याप्त पानी प्रदान कर यह सिद्ध किया है कि अगर किसानों और कृषि क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण जनजीवन का भला करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो कैसे बदलाव जाए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने कृषि महोत्सव के माध्यम से किसानों को उनके खेतों में कौन सी फसल अधिक उगाई जा सकती है और किस प्रकार वैल्यू एडिशन कर फसल का अधिक मूल्य प्राप्त किया जा सकता है, यह सारी जानकारी राज्य सरकार द्वारा स्वयं चलकर देने का दृष्टिकोण अपनाया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात को मोदी साहब की विजनरी लीडरशिप और विशिष्ट दृष्टि से सॉइल हेल्थ कार्ड, लैब टू लैंड और पशु स्वास्थ्य मेला जैसे कृषि हितकारी आयाम मिले हैं। इन सभी के चलते 2001 से 2014 की अवधि के दौरान, जब पूरे भारत की कृषि विकास दर केवल 3 फीसदी थी, तब गुजरात की वार्षिक कृषि विकास दर दोहरे अंकों की दर से वृद्धि कर रही थी।

मुख्यमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व और देशी की सेना के जवानों को बधाई देते हुए कहा कि जिस प्रकार सेना लगातार मुस्तैदी के साथ देश की सीमाओं की सुरक्षा करती है, ठीक उसी प्रकार किसान देश के जन-जन की खाद्य सुरक्षा का काम करते हैं। मुख्यमंत्री ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि ‘विकसित भारत@2047’ के निर्माण के लिए इस ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में भी गुजरात के किसान अग्रणी रहेंगे। मुख्यमंत्री ने इस अभियान के शुभारंभ अवसर पर किसानों को विभिन्न सहायता किटों का प्रतीकात्मक वितरण भी किया।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के डॉ. मनीष दास ने अपने वक्तव्य में कृषि क्षेत्र में किसानों की चुनौतियों को को दूर करने के लिए आईसीएआर के प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान इस विभाग के माध्यम से राज्य के लगभग 1.5 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री के लैब टू लैंड के विजन को साकार करने के लिए एक नया आयाम प्रदान करेगा। इस अवसर पर आणंद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के.बी. कथीरिया ने स्वागत भाषण में कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान किसानों और वैज्ञानिकों के लिए परस्पर शिक्षा का अभियान सिद्ध होगा। कार्यक्रम के अंत में खेती निदेशक श्री प्रकार रबारी ने आभार व्यक्त किया।

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