डीयू के आरक्षण रोस्टर की मिलीं कमियां…

संसदीय समिति ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण पर काम करने वाली समिति ने दिल्ली विश्वविद्यालय की आरक्षण रोस्टर लागू करने की प्रक्रिया को “त्रुटिपूर्ण” बताया है। समिति का कहना है कि इस प्रक्रिया में खामियों के कारण एससी/एसटी वर्ग के शिक्षकों को उनके हक के पदों से वंचित किया गया।

नहीं दी गई बैकलॉग रिक्तियों की सूचना
संसद में पेश अपनी पांचवीं रिपोर्ट में समिति ने कहा कि 2013 में रोस्टर प्रणाली को “विभाग को इकाई” से बदलकर “विश्वविद्यालय को इकाई” बनाने के बाद कई अनारक्षित पद आरक्षित में बदल गए। इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने बैकलॉग रिक्तियों की सूचना नहीं दी और कुछ मामलों में इन पदों को अनारक्षित वर्ग के लिए मुक्त कर दिया।

समिति ने कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय में रोस्टर पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होने से ही यह कई खामियों और कमियों से घिरी रही है, जो इसके गलत तरीके से लागू होने के कारण हुईं।”

तीन महीने के भीतर बैकलॉग भर्तियां करने का निर्देश
समिति ने विश्वविद्यालय के इस दावे को खारिज कर दिया कि बैकलॉग रिक्तियां नहीं हैं और तीन महीने के भीतर इनकी पहचान कर विशेष भर्ती अभियान चलाने का निर्देश दिया। साथ ही, सिफारिश की गई कि जिन आरक्षित पदों पर फिलहाल अनारक्षित वर्ग के लोग कार्यरत हैं, वे पद खाली होने पर एससी/एसटी उम्मीदवारों को दिए जाएं। अद्यतन रोस्टर भी ऑनलाइन प्रकाशित करने को कहा गया।लंबे समय से कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों के नियमितीकरण की सिफारिश
एससी/एसटी वर्ग के कर्मचारियों, खासकर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर स्तर पर कम प्रतिनिधित्व पर चिंता जताते हुए समिति ने योग्य उम्मीदवारों को रियायतें और छूट देने की बात कही। लिखकर योग्य उम्मीदवारों को अस्वीकार करने की आलोचना की और लंबे समय से कार्यरत अस्थायी व संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की सिफारिश की।

एससी/एसटी के लिए अलग हॉस्टल बनाने की सिफारिश
छात्र प्रवेश को लेकर रिपोर्ट में कहा गया कि रियायतें देने के बावजूद एसटी वर्ग का नामांकन बेहद कम है। समिति ने आरक्षित सीटें भरने के लिए कट-ऑफ में बड़ी कमी की सलाह दी। साथ ही पाया गया कि हॉस्टल आरक्षण नियम समान रूप से लागू नहीं हो रहे हैं, इसलिए एससी/एसटी के लिए अलग हॉस्टल बनाने की सिफारिश की गई।इसके अलावा, हर कॉलेज में एससी/एसटी सेल बनाने, कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों को मिलाकर आरक्षण लागू करने और विदेशी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए एससी/एसटी कर्मचारियों के नामांकन में बढ़ोतरी की सिफारिश भी की गई।

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