दिल्ली: सूची की सबसे दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने अपनों की अपेक्षा उन नेताओं को प्राथमिकता दी है जो कुछ माह पहले आम आदमी पार्टी या कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं।
भाजपा की 105 सदस्यीय प्रदेश परिषद में पार्टी के मौजूदा 48 विधायकों में से केवल 15 को ही स्थान मिला है। इस सूची की सबसे दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने अपनों की अपेक्षा उन नेताओं को प्राथमिकता दी है जो कुछ माह पहले आम आदमी पार्टी या कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं।
प्रदेश परिषद में शामिल किए गए 15 विधायकों में से चार ऐसे हैं जो पहले अन्य दलों से निर्वाचित हो चुके हैं। इनमें आम आदमी पार्टी की ओर से निर्वाचित रहे कैलाश गहलोत व करतार सिंह तंवर और कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे राजकुमार चौहान और नीरज बसोया शामिल हैं।
प्रदेश परिषद की सूची में सबसे चौकाने वाला नाम दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा का है। दिल्ली सरकार मंत्रियों में से उनको ही परिषद का सदस्य बनाया गया है। मिश्रा भी आप छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
इसी तरह केजरीवाल सरकार में मंत्री रह चुके और 2025 में भाजपा के टिकट पर पटेल नगर से चुनाव हार चुके राजकुमार आनंद को भी प्रदेश परिषद में शामिल किया गया है। पूर्व सांसदों को भी परिषद में स्थान देने में कंजूसी की गई है। दक्षिण दिल्ली से सांसद रहे रमेश बिधूड़ी को ही परिषद का सदस्य बनाया गया है।
प्रदेश भाजपा के चुनाव प्रभारी डाॅ. महेंद्र नागपाल ने कहा कि विधायकों के नाम विधायक दल की सिफारिश पर शामिल किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी के अधिकतर पूर्व सांसद काफी कद्दावर नेता हैं और उनको राष्ट्रीय परिषद में स्थान दिया जा सकता है।
अपनों की अनदेखी कर दूसरे दलों से आए नेताओं को तवज्जो देना आने वाले समय में पार्टी के भीतर नाराजगी का कारण बन सकता है। क्योंकि भाजपा ने कई पुराने और सक्रिय नेताओं को सूची से बाहर रखा है।
दूसरी ओर हाल ही में पार्टी में शामिल हुए नेताओं को प्रमुखता दी गई है। भाजपा की प्रदेश परिषद प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका निभाती है। चुनाव की स्थिति बने तो यही सदस्य मतदान करते हैं।