बदलता इंदौर- 30 सालों में तांगे से मेट्रो तक का सफर, लोक परिवहन सुधरा

इंदौर के घने क्षेत्रों में आने वाले वर्षों में केबल कार का संचालन भी होगा। इसके लिए सर्वे भी हो रहा है। राजवाड़ा, सराफा, एमजी रोड जैसे क्षेत्रों में केबल कार के जरिए लोग यात्रा कर सकेंगे। इंदौर विकास प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट को हाथ में लिया है।

इंदौर ने जितने तेज बदलाव बीते 30 सालों में देखे है, उतने कभी नहीं हुए। इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, नए अस्पताल, स्कूल काॅलेज खुले। इन 30 सालों में शहर की लोक परिवहन व्यवस्था में भी बदलाव हुआ। 30 साल पहले तक शहर में तांगे और टेंपो का चलन था।

प्रदूषण फैलाते टेंपो शहरभर में चलते थे। 25 साल पहले वे बंद हुए तो नगरसेवा (मेटाडोर) का दौर चला। अब उनकी जगह सिटी बसों ने ले ली। 60 से ज्यादा रुटों पर सिटी बसें दिनभर चलती है।

डेढ़ लाख से ज्यादा यात्री प्रतिदिन इन बसों में सफर करते है। अब इंदौर में मेट्रो युग प्रारंभ होने वाला है। 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेट्रो ट्रेन का वर्चुअली लोकार्पण करेंगे,हालांकि अभी मेट्रो ट्रेन 6 किलोमीटर हिस्से में चलेगी, लेकिन सालभर बाद गांधी नगर से रेडिसन चौराहा तक 17 किलोमीटर तक मेट्रो का संचालन होगा।

फिलहाल 31 किलोमीटर का रुट पहले चरण में बनेगा, जो एयरपोर्ट, विजय नगर, रिंग रोड, बंगाली काॅलोनी चौराहा, एमजी रोड, राजवाड़ा, बड़ा गणपति होते हुए फिर एयरपोर्ट पर जाकर समाप्त होगा। मास्टर प्लान विशेषज्ञ जयवंत होलकर कहते है कि यदि शहर महानगर बन रहा है तो फिर मेट्रो रुट का दायरा भी बढ़ाना चाहिए। महू, देवास जैसे शहरों को इससे जोड़ना चाहिए, ताकि बसाहट का फैलाव उपनगरों तक रहे।

बीआरटीएस पहले बना मिसाल, अब तोड़ने की तैयारी
लोक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए इंदौर में दस साल पहले बीआरटीएस शुरू हुआ। यह देश का पहले पायलेट प्रोजेक्ट था। पूरे देश में यह मिसाल बना। प्रतिदिन 11 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस पर सत्तर हजार से ज्यादा यात्री सफर करते है। अब सरकार ने खुद बीआरटीएस तोड़ने का फैसला लिया है। चौराहों पर नगर निगम ब्रिज बनाएगा। इस कारण बीआरटीएस को अब उपयोगी नहीं माना जा रहा है।

भविष्य में दिखेगी केबल कार
इंदौर के घने क्षेत्रों में आने वाले वर्षों में केबल कार का संचालन भी होगा। इसके लिए सर्वे भी हो रहा है। राजवाड़ा, सराफा, एमजी रोड जैसे क्षेत्रों में केबल कार के जरिए लोग यात्रा कर सकेंगे। इंदौर विकास प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट को हाथ में लिया है।

नहीं सुधारा ट्रैफिक
शहर में ट्रैफिक को लेकर नए प्रयोग हुए लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। मार्ग के दोनों तरफ दुकानदार अस्थाई अतिक्रमण कर लेते है। इस कारण शहर में सुबह शाम ट्रैफिक जाम रहता है। वाहनों की गति धीमी हो जाती है। शहर में अब ई रिक्शा भी खूब चलने लगे है। उनकी वजह से भी ट्रैफिक जाम हो रहा है। रैलियों, धार्मिक आयोजनों की अनुमति भी सड़कों पर दे दी जाती है। इससे भी शहरवासियों को परेशान होना पड़ता है। चौराहों पर ट्रैफिक इंजीनियरिंग नहीं होती है।

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