एलन मस्क का कार्यकाल 31 मई तक के लिए ही निश्चित था। हालांकि, दो दिन पहले ही डोनाल्ड ट्रंप के सपने के तौर पर देखे जा रहे उनके सरकारी खर्च से जुड़े विधेयक ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’ की आलोचना कर दी थी। इस इंटरव्यू में उन्होंने ट्रंप के महत्वाकांक्षी विधेयक को सरकारी खर्च बढ़ाने वाला और डोज के लक्ष्यों के विपरीत करार दिया था। अपने इन बयानों के बाद से मस्क लगातार ट्रंप समर्थकों के निशाने पर रहे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एलन मस्क की जमकर तारीफ की। अरबपति कारोबारी ने अमेरिकी प्रशासन में सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें शानदार बताते हुए ट्रंप ने कहा कि भले ही यह स्पेसएक्स के सीईओ का आखिरी दिन है, लेकिन वे हमेशा हमारे साथ रहेंगे। ट्रंप और मस्क आज बाद में मीडिया ब्रीफिंग करेंगे।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, ‘मैं दोपहर 1:30 बजे ईएसटी (11:00 बजे IST) एलन मस्क के साथ ओवल ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा हूं। यह उनका आखिरी दिन होगा, लेकिन वास्तव में नहीं, क्योंकि वे हमेशा हमारे साथ रहेंगे। हर तरह से हमारी मदद करेंगे। एलन शानदार हैं! व्हाइट हाउस में मिलते हैं।’
ट्रंप प्रशासन में मस्क की क्या भूमिका रही?
एलन मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन देने के समय से ही अमेरिकी जनता से यह वादा किया था कि पूर्ववर्ती और मौजूदा अमेरिकी सरकारों ने फिजूलखर्ची काफी की है और अगर इनमें कटौती की जाए तो हर साल अमेरिकी जनता के दो ट्रिलियन डॉलर (दो लाख करोड़ डॉलर) तक बचाए जा सकते हैं। एलन मस्क के इन बयानों ने तब और सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने कहा कि अगर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे खर्च में कटौती करने के लिए भूमिका निभाने को तैयार हैं।
सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के गठन का एलान
ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के गठन का एलान कर दिया। हालांकि, इसे आधिकारिक सरकारी विभाग का दर्जा नहीं मिला, क्योंकि यह काम सिर्फ संसद ही कर सकती थी। इसकी जगह डोज राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश से बनी सलाहकार संस्था की तरह काम करती रही।
समय सीमा जुलाई 2026 तक रखी गई
डोज का मिशन था कि वह सरकार में कामकाज की दक्षता बढ़ाएगी और इसके जरिए उसके खर्चों को कम करेगी। डोज की तरफ से अपने लक्ष्यों को पूरा करने की समयसीमा जुलाई 2026 तक रखी गई। इस दौरान मस्क ने सरकारी खर्च को दो लाख करोड़ तक कम करने के दावे किए।