यूपी:  जिला पंचायतों में भी नक्शा पास करने के लिए तैनात होंगे आर्किटेक्ट

जिला पंचायतों में नक्शा पास कराने में होने वाले खेल पर अब लगाम लगेगी। विकास प्राधिकरणों की तर्ज पर जिला पंचायतों में भी तकनीकी परीक्षण और तय मानकों के आधार पर नक्शा पास होगा। इसके लिए जिला पंचायतों में तकनीकी तौर पर दक्ष मानव संसाधन की व्यवस्था होगी। गुणवत्ता और तकनीक पर नजर रखने के लिए सिविल इंजीनियर और मानचित्रकार (आर्किटेक्ट) तैनात किए जाएंगे। पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में निर्देश दिए।

सीएम ने ग्राम पंचायतों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए नवाचारों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने के लिए ग्राम सचिवालयों में आधार केंद्र खोलने के निर्देश दिए। कहा, इससे नागरिकों को सुविधा मिलेगी और मिलने वाले शुल्क से ग्राम पंचायतों की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि पंचायत प्रतिनिधियों को वित्तीय प्रबंधन, डिजिटल सेवा वितरण और जनसुविधा संचालन का प्रशिक्षण दिया जाए।

बैठक में सीएम को बताया गया कि विभाग तालाबों की सूचीकरण और उपयोग नीति का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। इस पर सीएम ने ग्राम पंचायत और जिला पंचायतों के अधीन तालाबों व पोखरों का समयबद्ध पट्टा और इससे होने वाली आय को हर घर नल, जल संरक्षण तथा जनहित के कार्यों पर खर्च करने के निर्देश दिए हैं। कहा, इसके लिए नियमावली बनाई जाए।

क्षेत्र और भू उपयोग के आधार पर लगाएं विकास शुल्क
शहरी सीमा के बाहरी क्षेत्र में मकान बनाने वालों को सरकार बड़ी राहत देने जा रही है। अब शहर के भीतरी व बाहरी क्षेत्रों में भूमि व उपयोग के आधार पर वाह्य विकास शुल्क नए सिरे से तय होंगे। यह शुल्क शहर के अंदर अधिक और बाहर कम होगा।
कृषि व औद्योगिक उपयोग की भूमि पर वाह्य विकास शुल्क आवासीय और व्यावसायिक की तुलना में कम होगा। आवास विभाग की समीक्षा में मंगलवार को सीएम योगी ने अधिकारियों और विकास प्राधिकरणों को इस संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने प्रस्तावित शहरी पुनर्विकास नीति के ड्राफ्ट को भी देखा और इसे शीघ्र लागू करने के निर्देश दिए।

बैठक में आवास विभाग ने सीएम के सामने शहरों में नक्शा पास करने पर लगने वाले वाह्य विकास शुल्क नीति और शहरी पुनर्विकास नीति का ड्राफ्ट पेश किया। इस पर सीएम ने वाह्य विकास शुल्क नीति को व्यावहारिक और जनहित के अनुरूप बनाने के निर्देश दिए। कहा कि कृषि एवं औद्योगिक उपयोग की भूमि पर वाह्य विकास शुल्क आवासीय और व्यावसायिक उपयोग की तुलना में कम होना चाहिए।

स्थानीय नगर निकाय सीमा के अंदर और बाहर की भूमि पर भी शुल्क की दरों में अंतर किया जाए। ऐसी व्यवस्था बनाएं जिसमें सामान्य व्यक्ति स्वयं अपने वाह्य शुल्क की गणना कर सके। इससे प्राप्त राशि का उपयोग जनसुविधाओं के विकास में किया जाए। इसके लिए विकास प्राधिकरणों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। सीएम ने निर्देश दिए कि नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था और प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। किसी की संपत्ति या जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

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