शनि मीन राशि में होंगे वक्री, इस जातक की चमकेगी किस्मत

18 जुलाई 2025 से शनि देव मीन राशि (saturn retrograde in pisces) में वक्री होकर मेष राशि के द्वादश भाव में गोचर करेंगे। यह भाव मेष राशि के जातकों के आत्मचिंतन, एकांत, विदेशी संबंधों, खर्च और मोक्ष से जुड़ा होता है। इस समय करियर में रुकावटें और भावनात्मक दूरी आपकी धैर्यता की परीक्षा ले सकती हैं। विदेश यात्रा, नींद की समस्याएं और पुराने स्वास्थ्य मुद्दों पर ध्यान देना जरूरी होगा। यह समय सेवा, संयम और आध्यात्मिक साधना का है। ऐसे में आइए जानते हैं कि शनि देव मीन राशि में वक्री होने से मेष राशि के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

परिचय:
18 जुलाई से 30 नवंबर 2025 तक शनि देव मीन राशि में वक्री होकर मेष राशि के द्वादश भाव में स्थित रहेंगे। यह भाव आत्मनिरीक्षण, कर्मों की शुद्धि, विदेश, खर्च और मोक्ष से जुड़ा होता है। शनि का यह गोचर आपके भीतर के डर, अधूरे कर्म और आध्यात्मिक प्रगति को समझने का अवसर देता है। भले ही गति धीमी हो, लेकिन भीतर से खुद को पुनः व्यवस्थित करने का यह श्रेष्ठ समय हो सकता है।

करियर:
करियर को लेकर भ्रम या अकेलापन महसूस हो सकता है। विदेश से संबंधित नौकरी प्रस्तावों में देरी हो सकती है या वर्तमान काम में संतुष्टि की कमी रह सकती है। शोधकर्ता, चिकित्सक, या आध्यात्मिक कार्यों से जुड़े लोग इस दौरान बेहतर कर सकते हैं। यह समय करियर को दीर्घकालिक लक्ष्य से जोड़ने का है। बदलावों को लेकर जल्दबाजी न करें। वरिष्ठों या विदेशी संपर्कों से अनावश्यक विवाद से बचें।

फाइनेंस:
इस समय खर्चों में वृद्धि हो सकती है, विशेषकर इलाज, विदेश यात्रा या दान-पुण्य से जुड़े मामलों में। शनि की दृष्टि द्वितीय भाव (धन), षष्ठ भाव (ऋण) और नवम भाव (भाग्य) पर है। पुराने कर्ज चुकाने की जरूरत हो सकती है, इसलिए समझदारी से बजट बनाएं और किसी भी तरह की सट्टा प्रवृत्ति से दूर रहें। अपनी बचत की रणनीति की समीक्षा करें और पहले की वित्तीय गलतियों को सुधारें।

स्वास्थ्य:
नींद की दिक्कतें, थकावट या पुराने रोग फिर से उभर सकते हैं। शनि आपको शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक उपचार पर ध्यान देने की ओर प्रेरित करेंगे। भावनाओं को दबाना नुकसानदेह हो सकता है। विशेषकर पैरों और आंखों की देखभाल ज़रूरी है। नियमित दिनचर्या, प्राणायाम और सात्त्विक भोजन से मानसिक शांति बनी रह सकती है।

परिवार:
आप परिवार से भावनात्मक या शारीरिक रूप से थोड़ा दूर महसूस कर सकते हैं। बुज़ुर्ग परिजनों को आपकी देखभाल की जरूरत पड़ सकती है। ससुराल पक्ष या घरेलू स्टाफ से विवाद की संभावना है। समझदारी से बात करें और अत्यधिक नियंत्रणकारी रवैये या दूरी बनाने से बचें। शनि इस दौरान रिश्तों में परिपक्वता सिखाते हैं।

शिक्षा:
जो विद्यार्थी परीक्षा या विदेश शिक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए प्रगति धीमी हो सकती है। कभी-कभी मानसिक अवरोध का भी अनुभव होगा। पर यह आत्म-चिंतन, अध्ययन और सीखने का उपयुक्त समय है। आप आध्यात्मिकता या दर्शन जैसे विषयों पर ध्यान दे सकते हैं। रिसर्च में लगे छात्रों को स्थिरता से लाभ मिलेगा। दूसरों से तुलना करना बंद करें और अपनी गति को समझें।

निष्कर्ष:
मेष राशि में शनि का वक्री होकर द्वादश भाव में स्थित होना आत्म-विश्लेषण और आध्यात्मिक विश्राम का आह्वान है। हालांकि देरी और अंदरूनी तनाव हो सकता है, यह समय पुराने बोझों को हल्का करने, रुकने और खुद को सहेजने का अवसर भी है। यह समय पुराने ऋण। चाहे वे भावनात्मक हों या आर्थिक। चुकाने का है। जब शनि मार्गी होंगे, आप पहले से कहीं अधिक मजबूत होकर उभरेंगे।

उपाय:
रोजाना “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें, विशेष रूप से शनिवार को।
हर शनिवार की रात पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
जरूरतमंदों को काले तिल या कंबल दान करें।
कृतज्ञता डायरी लिखें। इससे अवचेतन मन के बोझ हल्के होंगे।
प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट ध्यान करें, विशेषकर जल तत्व के साथ ध्यान करना उपचारदायक रहेगा।

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