संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को मिले स्थायी सदस्यता, मॉरीशस ने किया समर्थन

यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का रूस भूटान और मारीशस ने समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शनिवार को कहा कि मास्को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटों के लिए ब्राजील और भारत के आवेदन का समर्थन करता है। लावरोव बोले वर्तमान वैश्विक संतुलन 80 साल पहले संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से काफी अलग है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता का रूस, भूटान और मारीशस ने समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शनिवार को कहा कि मास्को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटों के लिए ब्राजील और भारत के आवेदन का समर्थन करता है।

अब की स्थिति काफी भिन्न
लावरोव ने कहा कि वर्तमान वैश्विक संतुलन 80 वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से काफी भिन्न है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अधिक प्रभावी और प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाने के लिए सुधारों की आवश्यकता है।

भूटान के प्रधानमंत्री ने कही ये बात
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भी महासभा का संबोधित करते हुए सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत की और भारत और जापान की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया। मॉरीशस ने भी भारत की लंबे समय से चली आ रही दावेदारी का समर्थन किया था।

मॉरीशस के विदेश मंत्री ने किया समर्थन
मॉरीशस के विदेश मंत्री धनंजय रामफुल ने कहा, भारत प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है। वैश्विक मामलों में उसकी रचनात्मक भूमिका के अनुरूप, उसे परिषद में स्थायी सीट मिलनी चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में, लावरोव ने वैश्विक दक्षिण की सामूहिक स्थिति को आकार देने में एससीओ और ब्रिक्स जैसे मंचों के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये समूह “विकासशील देशों के हितों के समन्वय के तंत्र के रूप में एक विशेष भूमिका निभाते हैं।”

जयशंकर ने भी यूएन में सुधार की मांग की
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग इस वर्ष की महासभा का एक प्रमुख विषय रही है। शुक्रवार को, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता की। समूह के संयुक्त बयान में 2023 जोहान्सबर्ग-II घोषणापत्र के प्रति समर्थन दोहराया गया, जिसमें परिषद में व्यापक बदलाव की बात कही गई है ताकि इसे अधिक लोकतांत्रिक, प्रतिनिधिक, प्रभावी और कुशल बनाया जा सके।

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