कर्नाटक की सिद्दरमैया सरकार ने अनसूचित जातियों (एससी) के बीच आंतरिक आरक्षण देने का फैसला किया है। इसके लिए 101 जातियों को तीन वर्गों में बांटा जाएगा। हालांकि आयोग की रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, इस बात की जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है।
मंगलवार (19 अगस्त, 2025) को हुई स्पेशल मीटिंग में कैबिनेट ने जस्टिस एचएन नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों पर चर्चा की। आयोग ने 4 अगस्त को मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को अपनी 1766 पेजों की रिपोर्ट सौंपी थी और 7 अगस्त को इसे कैबिनेट के सामने रखा था। आंतरिक आरक्षण का उद्देश्य 101 अनुसूचित जातियों को दिए गए 17 प्रतिशत आरक्षण मैट्रिक्स को कम करना है।
किस जाति को कितना मिलेगा आरक्षण?
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट ने न्यायमूर्ति नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करने का फैसला किया, लेकिन इसमें कुछ बदलाव भी किए। राज्य में अनुसूचित जातियों को मिल रहे 17 प्रतिशत आरक्षण में से, कैबिनेट की ओर से विकसित आंतरिक आरक्षण फार्मूले के मुताबिक, अनुसूचित जाति (दक्षिणपंथी) और अनुसूचित जाति (वामपंथी) को 6-6 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, जबकि ‘स्पृश्य’ दलित समुदायों (लम्बानी, भोवी, कोरमा और कोरचा) और अति पिछड़े तथा खानाबदोश समुदायों को 5 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
आयोग ने क्या सिफारिश की थी?
आयोग ने कथित तौर पर पांच श्रेणियों में आंतरिक आरक्षण के लिए सिफारिश की थी – ‘सबसे पिछड़े’ समुदाय (ग्रुप ए) – 1 प्रतिशत; एससी (वाम) / मडिगा समुदाय (ग्रुप बी) 6 प्रतिशत; एससी (दक्षिणपंथी) / होलेया (ग्रुप सी) 5 प्रतिशत; ‘स्पृश्य’ समुदाय (ग्रुप डी) 4 प्रतिशत, और आदि कर्नाटक, आदि द्रविड़ और आदि आंध्र समुदाय (ग्रुप ई) 1 प्रतिशत।
पत्रकारों से बात करते हुए विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि कैबिनेट की बैठक “सार्थक” रही और सभी अनुसूचित जाति समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा, “कैबिनेट की बैठक लगभग ढाई घंटे तक चली। हम सभी कैबिनेट हॉल से खुश और संतुष्ट होकर बाहर आए हैं। राज्य विधानमंडल का सत्र चल रहा है और विवरण का खुलासा करने की कोई गुंजाइश नहीं है। मुख्यमंत्री कल सदन में सरकार की ओर से बयान देंगे।”