सनातन धर्म में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का खास महत्व है। यह दिन पूर्णतया जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी संग शेषनाग जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। वहीं, पूजा के बाद अनंत रक्षा सूत्र बांधा जाता है।
धार्मिक मत है कि अनंत चतुर्दशी यानी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, अनंत रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति विशेष को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आइए, अनंत चतुर्दशी की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त (Anant Chaturdashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 06 सितंबर को देर रात 03 बजकर 12 मिनट पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि शुरू होगी। वहीं, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का समापन 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इस प्रकार 06 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी।
अनंत चतुर्दशी शुभ योग (Anant Chaturdashi Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर सुकर्मा और रवि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र का संयोग है। इन योग में चराचर के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
अनंत चतुर्दशी पूजा समय
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पूजा के लिए शुभ समय 06 सितंबर को प्रातः काल 05 बजकर 21 मिनट से लेकर 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और शेषनाग जी की पूजा कर सकते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश उत्सव का समापन होता है।