भाद्रपद का महीना बेहद खास होता है। इस महीने में भगवान कृष्ण और भगवान गणेश का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो भगवान कृष्ण और गणेश जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भादप्रद महीने में राधा अष्टमी भी मनाई जाती है। भक्तजन भक्ति भाव से राधा रानी और बांके बिहारी कृष्ण कन्हैया लाल की पूजा करते हैं।
वहीं, भाद्रपद माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा एवं भक्ति की जाती है। आइए, अजा एकादशी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
कब मनाई जाती है अजा एकादशी?
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन अजा एकादशी मनाई जाती है। यह दिन पूर्णतया जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। अतः अजा एकादशी के लिए साधक न केवल आराध्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, बल्कि उनके निमित्त व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही देवी मां लक्ष्मी की कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
अजा एकादशी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 18 अगस्त को शाम 05 बजकर 22 मिनट पर भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि प्रारंभ होगा। वहीं, 19 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। इस प्रकार 19 अगस्त को अजा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, 20 अगस्त के दिन अजा एकादशी का पारण किया जाएगा।
कब रखा जाएगा अजा एकादशी का व्रत
भाद्रपद माह की अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन दोपहर 03 बजकर 32 मिनट पर शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त होगी। इसके बाद द्वादशी तिथि का प्रारंभ होगा। इसके लिए 19 अगस्त को अजा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, 20 अगस्त को पुत्रदा एकादशी का पारण किया जाएगा।
अजा एकादशी पारण समय
अजा एकादशी का पारण 20 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन साधक सुबह 05 बजकर 15 मिनट से लेकर 07 बजकर 49 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं। एकादशी व्रत का पारण अन्न और धन का दान कर किया जाता है। इसके लिए द्वादशी तिथि पर स्नान-ध्यान के बाद भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के बाद अन्न का दान कर व्रत खोलें।