सिंह संक्रांति पर इस विधि से करें पूजा, जानिए महत्व

सूर्य का गोचर जब एक राशि से दूसरी राशि में होता है, तो उस दिन को संक्रांति कहते हैं। सूर्य जब कर्क राशि से निकलकर अपनी ही राशि यानी सिंह में प्रवेश करते हैं, तो उसे सिंह संक्रांति कहा जाता है। यह दिन ज्योतिषीय और धार्मिक दोनों दृष्टियों से बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में तेज, आत्मविश्वास और आरोग्य का संचार होता है।
इस साल यह पर्व 17 अगस्त यानी आज के दिन मनाया जा रहा है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

सिंह संक्रांति शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। वहीं, अमृत काल 18 अगस्त को रात 12 बजकर 16 मिनट से 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप पूजा सहित कोई भी शुभ काम कर सकते हैं।

पुण्य काल – 17 अगस्त 2025, सुबह 05:51 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
महापुण्य काल – 17 अगस्त 2025, सुबह 05:51 बजे से सुबह 08:00 बजे तक।

सिंह संक्रांति का महत्व
सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है, जब सूर्य अपनी ही राशि सिंह में प्रवेश करते हैं, तो उनकी ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है। इस दिन की गई पूजा से साधक मान-सम्मान और कारोबार में सफलता मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि, भोग और मंत्र
सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
अगर न हो पाए तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं।
स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
अर्घ्य के बाद सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
उन्हें लाल वस्त्र, रोली और गुड़ का भोग लगाएं।
‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
इस दिन सूर्य देव को गुड़ और गेहूं से बनी खीर या कोई मीठी चीज का भोग लगाना शुभ होता है।
पूजा के बाद गुड़, गेहूं, लाल वस्त्र और तांबे के बर्तन का दान करें।
इस दिन गाय को गुड़ और रोटी खिलाना भी शुभ माना जाता है।

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