नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की आगामी भारत यात्रा पर लिपुलेक विवाद का सीधा असर पड़ने की संभावना कम दिख रही है। उच्चस्तरीय सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ओली इस दौरे को सीमा विवाद सुलझाने के लिए कूटनीतिक प्रयास के अवसर के रूप में भी देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ओली चीन और भारत की यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। इसी बीच नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद एक बार फिर तेज हो गया है। नेपाल जिस लिपुलेक क्षेत्र को अपना अभिन्न अंग मानता है, वहां से भारत और चीन ने व्यापार शुरू करने का समझौता किया, जिसके बाद विवाद गहराया।
लगभग 13 महीने के अपने तीसरे कार्यकाल के बाद प्रधानमंत्री ओली को भारत जाने का निमंत्रण मिला है। हाल ही में नेपाल आए भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ओली को भारत यात्रा का औपचारिक निमंत्रण सौंपा। ओली के सचिवालय के अनुसार प्रधानमंत्री ने भी इस निमंत्रण के लिए आभार प्रकट किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओली १६ सितंबर को दो दिवसीय भारत यात्रा पर जाएंगे।
हालांकि, भारत यात्रा से पहले प्रधानमंत्री ओली चीन जाएंगे। वह ३०अगस्त को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने बीजिंग जाने वाले हैं। कुछ हलकों का मानना है कि सीमा विवाद की स्थिति में यात्रा करना उचित नहीं होगा, जबकि अन्य का विचार है कि विवाद सुलझाने के लिए इसी यात्रा को अवसर के रूप में लेना चाहिए। प्रधानमंत्री का सचिवालय इस विषय पर अब तक चुप है। सूत्रों के अनुसार, ओली ने प्रधानमंत्री मोदी को पहले काठमांडू आने का निमंत्रण दिया था, जिसे भारत ने स्वीकार नहीं किया। लेकिन, यदि ओली की भारत यात्रा सफल रहती है तो भविष्य में मोदी की नेपाल यात्रा की संभावना बढ़ सकती है।