पीएम विश्वकर्मा योजना के दो वर्षों में गुजरात सरकार ने करीब 1.81 लाख कारीगरों को सशक्त किया है। इस बीच 32,000 कारीगरों को 290 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन वितरित किए गए हैं। दूसरी तरफ पारंपरिक कारीगरों के लिए करीब 390 करोड़ ऋण स्वीकृत हैं। देश भर के पारंपरिक कारीगरों को सशक्त बनाने और उनके हुनर को वैश्विक पहचान देने के मकसद से पीएम नरेंद्र मोदी ने 2023 में अपने जन्मदिवस 17 सितंबर को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की थी। योजना से पारंपरिक हुनर को आधुनिक स्वरूप में विकसित करने, कारीगरों को वित्तीय और तकनीकी सशक्तिकरण देने तथा उन्हें नए अवसर उपलब्ध कराने के लिए है।
अधिकारियों का कहना है कि इस योजना को मूर्त रूप देने में गुजरात की भूमिका अग्रणी रही है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य ने केवल दो साल में ही योजना को प्रभावी तरीके से लागू किया है। इससे कारीगरों की क्षमता, कौशल और आर्थिक स्थिति में ठोस सुधार देखने को मिला है। अधिकारी बताते हैं कि अब तक करीब 43,000 कारीगरों के लिए 390 करोड़ के ऋण स्वीकृत हैं। इनमें से 32,000 कारीगरों को 290 करोड़ लोन का वितरण किया जा चुका है। वहीं, पंजीकरण और सत्यापन प्रक्रिया में भी गुजरात का प्रदर्शन अच्छा है। अब तक राज्य में 2.14 लाख कारीगरों का त्रि-स्तरीय सत्यापन पूरा हो चुका है।
योजना केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि कौशल विकास को भी प्राथमिकता देती है। इसी दिशा में 1.81 लाख कारीगरों ने प्रशिक्षण दिया गया। साथ में कारीगरों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए राज्य ने एक विशेष हेल्पडेस्क की भी स्थापना की है।
पंजीकरण और सत्यापन की तीन-स्तरीय प्रणाली पर काम
प्रदेश में पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत कारीगरों का पंजीकरण कॉमन सर्विस सेंटर से किया जा रहा है। आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए राज्य में तीन-स्तरीय सत्यापन प्रणाली लागू की गई है। पहले स्तर पर लाभार्थी की जांच ग्राम पंचायत या शहरी स्थानीय निकाय करता है। इसके बाद अनुमोदन प्रक्रिया जिला कार्यान्वयन समिति करती है।