Dhamaal 4 एक्टर ने खुद को बताया ‘प्रोडक्ट’, बोले- ‘इंडस्ट्री की हालत अच्छी नहीं’

अभिनेता संजय मिश्रा (Sanjay Mishra) इस साल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय करियर के 30 साल पूरे करेंगे। लगातार काम करने में यकीन रखने वाले संजय की फिल्म द सीक्रेट आफ देवकाली (The Secret of Devkaali) आज (18 अप्रैल) सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इसके बाद उनकी कामेडी फिल्म भूल चूक माफ आएगी। इसके अलावा वह वध 2 और धमाल 4 की शूटिंग भी कर रहे हैं। हाल ही में, अभिनेता ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में दिल की बात शेयर की है।

इंटरनेट के अनुसार आपकी 27 फिल्में आने वाली हैं। इसमें कितनी सच्चाई है ?
वाकई? अगर ऐसा दिखा रहा है तो होंगी। मैंने कई फिल्में साइन की हैं। इंडस्ट्री की हालत बहुत अच्छी नहीं है। ईश्वर की कृपा है कि मेरे पास इतना सारा काम है। मुझे 27 फिल्मों का प्रमोशन आगामी दिनों में करना होगा।

प्रमोशन करना क्या पसंद नहीं है ?
नहीं, ऐसा नहीं है। प्रमोशन करना हम कलाकारों का फर्ज है। आपको लेकर जब फिल्म बन जाती है, तो उसे लोगों तक पहुंचाना चाहिए। अच्छा समय होता है, मीडिया से मुलाकात होती है। हमारे बारे में दुनिया में क्या चल रहा है, पता चलता है। बाकी बाहरी दुनिया या फिल्म इंडस्ट्री में जो चल रहा है, उसे जानना मेरा काम नहीं। इंडस्ट्री मेरी दुनिया को खरीदता है कि फलां कलाकार को खरीदकर फिल्म में ले लो।

आपको फिल्म के लिए खरीदना कठिन है?
बिल्कुल नहीं है। मैं अगर बिकूंगा नहीं, तो मेरी जिंदगी कैसे चलेगी। मैं फिल्म इंडस्ट्री के बाजार का एक प्रोडक्ट हूं और प्रोडक्ट का बिकना आवश्यक होता है।

इस साल फिल्म इंडस्ट्री में आप अभिनय के 30 साल पूरे करेंगे। साल 1995 में ओ डार्लिंग! ये है इंडिया ! से अभिनय सफर शुरू हुआ था।
हां, इस लाइन में रोजी-रोटी कमाने की शुरुआत साल 1995 से की थी । मैं बहुत कम कलाकारों से हूं, जिसे घर से मारकर भगाया गया है कि जाओ बंबई (मुंबई) जाओ। नेशनल स्कूल आफ ड्रामा (एनएसडी) से एक्टिंग का डिप्लोमा किया था। वहां से निकलने के बाद कई बातें दिमाग में चलने लगी कि क्या एक्टिंग करना ही जरूरी है, फोटोग्राफर क्यों नहीं बन सकता हूं।

अब मैं इतना बड़ा फोटोग्राफर तो था नहीं कि मेरी फोटो बिके। पूरा खर्च पापा ही उठा रहे थे। साल भर तो उन्होंने देखा, फिर साल 1992-93 में उन्होंने कह दिया कि अब तुम्हारा काम करने का समय आ गया है, यहां से भागो। कोई घर पर आया था, उनके हाथों मुझे सौंप दिया गया कि इसको बंबई ले जाओ। घर से दूर तो हर बार जाता था, लेकिन इस बार जहां आया था, वहां सफलता, रोजी-रोटी, माता-पिता के नजरों में आत्मनिर्भर बनने का दबाव था। दिमाग में सवाल था कि पिता की आंखें बंद होने से पहले अपने पैरों पर खड़े हो पाऊंगा या नहीं।

द सीक्रेट आफ देवकाली में आपका संवाद है कि इंसान का जब अच्छा वक्त होता है, तो वो ऊपरवाले को भूल जाता है। आपके लिए अच्छा वक्त क्या है?

निर्भर करता है, हो सकता है कि वक्त अच्छा चल रहा है, लेकिन पेट खराब है, तो वह अच्छा कैसे हुआ। अलग-अलग परिभाषा है। मुझे लगता है हर व्यक्ति के लिए अच्छा वक्त वही है, जिसमें वह सुकून से रहे ।

धमाल 4 के सेट पर लौटकर कैसा लगा?
मेरे लिए धमाल फिल्म नहीं, एक भावना बन गई है। एक बंदा है, जिससे मैं बहुत सीखता हूं, उसका नाम है अजय देवगन उन्हें देखकर सीखता हूं कि कैसे अच्छी जिंदगी जी जाए, जिसमें सब हो, सेहत, अच्छा खाना-पीना, काम और परिवार ।

वध 2 का प्रमोशन आपने महाकुंभ में किया था। जिस फिल्म की जिम्मेदारी आपके कंधों पर हो और वह सीक्वल में तब्दील हो जाए, तो नर्वसनेस होती है?

हां, मैं कई सारी फिल्मों के अगले पार्ट का हिस्सा रहा हूं लेकिन वध 2 केवल मेरा ही हिस्सा है, क्योंकि मैं और नीना ( नीना गुप्ता ) जी इसके मुख्य कलाकार हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *