Vaibhav Suryavanshi ने इंग्‍लैंड से इस खास शख्स पर लुटाया प्‍यार

भारतीय क्रिकेट के भविष्‍य माने जा रहे वैभव सूर्यवंशी इन दिनों इंग्‍लैंड के दौरे पर हैं। इंग्‍लैंड में इन दिनों भारतीय अंडर 19 और इंग्‍लैंड अंडर 19 टीम के बीच 2 मैचों की यूथ टेस्‍ट सीरीज खेली जा रही है।

सीरीज का पहला टेस्‍ट मैच ड्रॉ रहा था। इस मैच में वैभव ने पहली पारी में 14 और दूसरी पारी में 56 रन बनाए थे। वहीं दूसरा यूथ टेस्‍ट अब 20 जुलाई से शुरू होगा। इस बीच वैभव ने अपने कोच पर जमकर प्‍यार लुटाया है।

वैभव ने शेयर की स्‍टोरी
वैभव सूर्यवंशी ने कोच रॉबिन सिंह को इंस्‍टाग्राम स्‍टोर की जरिए विश किया है। वैभव ने इंस्‍टा स्‍टोरी पर रॉबिन सिंह की एक तस्‍वीर शेयर की। इसके साथ ही उन्‍होंने लिखा, हैप्‍पी बर्थडे रॉबिन सिंह सर। वैभव की यह पोस्‍ट पर सोशल मीडिया तेजी से वायरल हो रही है।

बता दें कि आईपीएल 2025 से पहले हुए ऑक्‍शन में राजस्‍थान रॉयल्‍स ने वैभव को 1.1 करोड़ रुपये में खरीदा था। आईपीएल के 18वें सीजन में वैभव ने कमाल की बल्‍लेबाजी की। 14 साल के इस सलामी बल्‍लेबाज ने 7 मुकाबलों में 36 की औसत और 206 की स्‍ट्राइक रेट से 252 रन बनाए थे। इस दौरान उन्‍होंने एक तूफानी शतक भी लगाया था।

बाकी खिलाड़ियों से बिल्कुल अलग था
वैभव के बारे में कोच रॉबिन सिंह ने एक इंटरव्‍यू में कहा था, “वह 8 साल की उम्र से ही बाकी खिलाड़ियों से बिल्कुल अलग था, इसलिए आठ साल की उम्र में वह लगभग अंडर-19 स्तर के खिलाड़ियों के साथ मैच खेलता था और कभी-कभी अपने से बड़े खिलाड़ियों के साथ भी खेलता था। वह ईश्वर की देन है। अगर आप इस उम्र में उसकी पावर हिटिंग देखें, तो मैंने अपनी जिंदगी में इतनी पावर कभी नहीं देखी। मैंने कई खिलाड़ी देखे हैं, लेकिन वैभव बिल्कुल अलग है, मैंने किसी भी खिलाड़ी में ऐसी टाइमिंग और पावर नहीं देखी।”

पिता ने की थी पहचान
वैभव क्रिकेट में बड़ा नाम बनेगा? इस सवाल के जवाब में कोच रॉबिन सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि वैभव पर क्रिकेट में विश्वास करने का पूरा श्रेय उसके माता-पिता को जाता है। 8 साल की उम्र में ही उसके पिता को यकीन हो गया था कि वह जरूर अच्छा करेगा और बड़ा नाम बनेगा। समस्तीपुर में अच्छा बुनियादी ढांचा नहीं था। इसलिए जब वैभव 8 साल का था तो उसके पिता उसे सप्‍ताह में 4-5 दिन पटना ले जाते थे। 2019 से उसके पिता वैभव के विकास के लिए समस्तीपुर से पटना आते-जाते रहते हैं। वहीं दूसरी ओर उसकी मां उसके लिए दोपहर का खाना बनाती थी ताकि वह खाना न छोड़े। कोचों से पहले उसकी प्रतिभा को उन्हीं ने पहचाना था।”

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